पर्यावरण और पारिस्थितिकी (Environment and Ecology) UPSC IAS प्रारंभिक परीक्षा के पेपर I (सामान्य अध्ययन) का एक महत्वपूर्ण खंड है। इस विषय का महत्व पिछले वर्षों में बढ़ा है क्योंकि पर्यावरणीय मुद्दे वैश्विक चर्चा के केंद्र में हैं। इस खंड से जुड़े प्रश्न व्यापक होते हैं और समसामयिक घटनाओं पर आधारित होते हैं।
इस ब्लॉग में हम पर्यावरण और पारिस्थितिकी के सिलेबस का विवरण और प्रभावी तैयारी के लिए रणनीति साझा करेंगे।
UPSC प्रीलिम्स: पर्यावरण और पारिस्थितिकी का सिलेबस
पर्यावरण और पारिस्थितिकी के सिलेबस को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है:
1. पर्यावरणीय पारिस्थितिकी (Environmental Ecology)
- पारिस्थितिकी (Ecology) के मूल सिद्धांत।
- पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) और इसके घटक।
- ऊर्जा प्रवाह और खाद्य श्रृंखला (Food Chain & Food Web)।
- पारिस्थितिक संतुलन और गड़बड़ी।
2. जैव विविधता (Biodiversity)
- जैव विविधता का महत्व और इसके प्रकार।
- भारत में जैव विविधता के हॉटस्पॉट।
- लुप्तप्राय (Endangered) और संकटग्रस्त (Threatened) प्रजातियाँ।
- जैव विविधता संरक्षण: इन-सीटू और एक्स-सीटू।
3. पर्यावरणीय मुद्दे (Environmental Issues)
- वायु, जल, और भूमि प्रदूषण।
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और ग्लोबल वार्मिंग।
- ग्रीनहाउस प्रभाव और ओज़ोन परत क्षरण।
- पर्यावरणीय आपदाएँ: चक्रवात, भूस्खलन, और सुनामी।
4. पर्यावरण संरक्षण प्रयास (Environmental Conservation)
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयास।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम।
- जैव विविधता अधिनियम और वन अधिकार अधिनियम।
- संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण सम्मेलन:
- पेरिस समझौता (Paris Agreement)।
- कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी (CBD)।
- मोंट्रियल और क्योटो प्रोटोकॉल।
5. सतत विकास और हरित प्रौद्योगिकी (Sustainable Development & Green Technology)
- सतत विकास के लक्ष्य (Sustainable Development Goals – SDGs)।
- हरित प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा।
- सर्कुलर इकोनॉमी और कार्बन क्रेडिट।
6. समकालीन पर्यावरणीय मुद्दे (Contemporary Environmental Issues)
- एकल उपयोग प्लास्टिक (Single-Use Plastic)।
- जल संकट और जल संरक्षण।
- भारतीय सरकार की पर्यावरणीय पहल, जैसे राष्ट्रीय हरित मिशन।
तैयारी की रणनीति
1. सही स्रोतों का चयन करें:
- NCERT किताबें (Class 6-12):
पर्यावरण और पारिस्थितिकी की मूलभूत अवधारणाएँ समझने के लिए। - शंकर IAS की Environment पुस्तक:
गहन अध्ययन के लिए। - भारत सरकार की रिपोर्ट्स:
पर्यावरण और वन मंत्रालय (MoEFCC) की वार्षिक रिपोर्ट। - समसामयिक घटनाएँ:
हाल के सम्मेलन, नीतियाँ और पर्यावरणीय मुद्दे।
2. प्रैक्टिकल दृष्टिकोण अपनाएँ:
- नक्शों का उपयोग करें: जैव विविधता हॉटस्पॉट, वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यानों को चिह्नित करें।
- चार्ट और ग्राफ बनाकर खाद्य श्रृंखला, ऊर्जा प्रवाह को समझें।
3. समाचार पत्र और पत्रिकाएँ पढ़ें:
- द हिंदू, डाउन टू अर्थ, और योजना पत्रिका से पर्यावरणीय मुद्दों पर सामग्री पढ़ें।
4. पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र हल करें:
- प्रश्न पत्रों से यह समझने में मदद मिलेगी कि UPSC पर्यावरण से किस प्रकार के प्रश्न पूछता है।
5. नोट्स तैयार करें और रिवीजन करें:
- छोटे और बिंदुवार नोट्स बनाएं।
- पर्यावरणीय कानूनों, सम्मेलन और संरक्षित क्षेत्रों को अलग-अलग श्रेणियों में लिखें।
6. मॉक टेस्ट और क्विज़:
- मॉक टेस्ट से आत्ममूल्यांकन करें और अपनी कमजोरियों को सुधारें।
महत्वपूर्ण विषय और बिंदु
- भारतीय जैव विविधता हॉटस्पॉट।
- ग्लोबल वार्मिंग और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन।
- राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य।
- प्रदूषण के प्रकार और उनके समाधान।
- पर्यावरणीय कानून और नीति।
निष्कर्ष
पर्यावरण और पारिस्थितिकी UPSC परीक्षा का एक स्कोरिंग खंड है, लेकिन यह विषय गहराई से पढ़ने और समसामयिक घटनाओं पर आधारित होता है। सिलेबस को स्पष्ट रूप से समझें और प्रभावी नोट्स के साथ नियमित रिवीजन करें। समकालीन मुद्दों से इसे जोड़कर अपनी तैयारी को मजबूत बनाएं।
याद रखें: पर्यावरणीय अध्ययन न केवल परीक्षा के लिए बल्कि हमारे ग्रह के संरक्षण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आपकी तैयारी के लिए शुभकामनाएँ!