भारत सरकार ने खाद्य उत्पादों में मोटे अनाज के उपयोग को बढ़ावा देने और उनके मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त वर्ष 2022-2023 से 2026-2027 की अवधि के लिए 800 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मोटा अनाज आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की है। इस योजना में निवेश की आरंभिक सीमा को हटा दिया गया है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो गई है।
इस योजना के तहत, अर्हता प्राप्त करने के लिए कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में कम से कम 10 प्रतिशत की साल-दर-साल बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देना है, जिनमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक मोटा अनाज होता है।
पीएलआई योजना के प्रमुख बिंदु:
- लाभार्थियों की संख्या: इस योजना में शुरुआत में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, लेकिन एक लाभार्थी के हटने के बाद वर्तमान में 29 लाभार्थी हैं।
- घरेलू स्रोतों का उपयोग: योजना के तहत मोटा अनाज आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्रोतों से प्राप्त कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेलों को छोड़कर) का उपयोग किया जाना चाहिए। इससे स्थानीय उत्पादन और कृषि उपज की खरीद को बढ़ावा मिला है, जिससे किसानों को लाभ हुआ है।
- आवेदकों को प्रोत्साहन राशि: वित्त वर्ष 2022-2023 के पहले प्रदर्शन वर्ष से संबंधित 19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए। अब तक, 3.917 करोड़ रुपये पात्र आवेदकों को वितरित किए जा चुके हैं।
- साल दर साल वृद्धि: कंपनियों को 10 प्रतिशत साल-दर-साल बिक्री वृद्धि प्राप्त करनी होगी, ताकि वे इस योजना के तहत अर्हता प्राप्त कर सकें।
योजना के कार्यान्वयन में उठाए गए कदम:
सरकार ने पीएलआईएसएमबीपी योजना के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें:
- उपयोगकर्ता के अनुकूल पोर्टल की स्थापना।
- त्वरित समस्या समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण।
- योजना दिशानिर्देशों पर समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किया गया है ताकि लाभार्थी सही तरीके से आवेदन कर सकें।
- नियमित निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली की स्थापना।
- योजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए समर्पित टीमों द्वारा तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है।
- साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं, ताकि आवेदकों के साथ प्रगति पर नजर रखी जा सके और किसी भी समस्या का शीघ्र समाधान किया जा सके।
यह जानकारी केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्री रवनीत सिंह भिट्टू ने राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।