Friday, August 22, 2025
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राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (एनएमएम): भारतीय धरोहर का संरक्षण

भारतीय संस्कृति और पांडुलिपियों को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से संस्कृति मंत्रालय ने 2003 में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (एनएमएम) की स्थापना की। यह मिशन देश की प्राचीन पांडुलिपियों को डिजिटलीकरण और संरक्षण के माध्यम से संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।


एनएमएम की मुख्य विशेषताएँ

  1. स्थापना और प्रबंधन:
    • एनएमएम की स्थापना 10वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 2003 में की गई।
    • यह मिशन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के तहत कार्यरत है और मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है।
  2. डिजिटलीकरण और तकनीकी उपयोग:
    • प्राचीन पांडुलिपियों को डिजिटलीकरण कर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया गया है।
    • डिजिटल पांडुलिपियाँ पांडुलिपि पाटल पर अपलोड की जाती हैं।
  3. संरक्षण तकनीक:
    • लेमिनेशन, पुनर्स्थापन और अम्ल-रहितीकरण जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग।
    • प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से निवारक संरक्षण को बढ़ावा।
  4. पांडुलिपि संसाधन और संरक्षण केंद्र:
    • पांडुलिपि संसाधन केंद्र (MRC) और पांडुलिपि संरक्षण केंद्र (MCC) क्षेत्रीय और विषयगत संग्रहण की आवश्यकता को पूरा करते हैं।
    • संग्रहण और संरक्षण की खामियों को दूर करने के लिए विशेष केंद्र संचालित।

विशेषज्ञ समिति की सिफारिश

  • विशेषज्ञ समिति ने मिशन की सफलता और महत्व को देखते हुए इसे विस्तारित और प्रत्यक्ष निगरानी के साथ जारी रखने की सिफारिश की है।

सरकार की प्रतिबद्धता

  • प्राचीन भारतीय धरोहर को संरक्षित करना।
  • प्रौद्योगिकी के माध्यम से पांडुलिपियों की व्यापक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन को सशक्त बनाकर भारतीय सांस्कृतिक विरासत को विश्व पटल पर स्थापित करना।

राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह न केवल धरोहर को संरक्षित करता है, बल्कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से इसे नई पीढ़ियों के लिए सुलभ भी बनाता है।

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