Friday, August 22, 2025
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दिवालियापन समाधान: विकास एवं वैश्विक परिप्रेक्ष्य पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 2024

संगठन: भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई)
सहयोग: आईएनएसओएल इंडिया
स्थान: नई दिल्ली
तिथि: 08 दिसंबर 2024

मुख्य बिंदु:

  1. सम्मेलन का उद्देश्य:
    “दिवालियापन समाधान: विकास एवं वैश्विक परिप्रेक्ष्य” पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें दिवालियापन समाधान के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।
  2. मुख्य अतिथि और वक्ता:
    • भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर, एम. राजेश्वर राव ने दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के माध्यम से बैंक परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में सुधार और ऋण निपटान की प्रक्रिया पर अपने विचार साझा किए।
    • आईबीबीआई के अध्यक्ष रवि मित्तल ने आईबीसी के प्रभाव और विभिन्न नये दृष्टिकोणों जैसे मध्यस्थता और समूह दिवालियापन व्‍यवस्‍था पर जोर दिया।
    • भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष रजनीश कुमार ने आईबीसी के बैंकिंग प्रणाली पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों को रेखांकित किया।
    • इंसोल इंटरनेशनल की तकनीकी निदेशक डॉ. सोनाली अबेरत्ने ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं को साझा करने की आवश्यकता पर बल दिया।
  3. मुख्य सत्र और पैनल चर्चाएँ:
    • पैनल 1: “पुनर्गठन और दिवालियापन में नए रुझान”
    • पैनल 2: “निर्णय लागू करने, संपत्ति की वसूली और व्यक्तिगत गारंटी”
    • पैनल 3: “कॉर्पोरेट समाधान में संस्थागत ऋणदाताओं की भूमिका”
  4. फायर साइड चैट सत्र:
    • पहला सत्र तनावग्रस्त परिसंपत्ति व्‍यवस्‍था में निवेशकों की भूमिका पर था।
    • दूसरा सत्र समाधान आवेदकों के दृष्टिकोण पर था, जिसमें डालमिया भारत समूह और वेलस्पन वर्ल्ड के प्रतिनिधि शामिल थे।
  5. महत्वपूर्ण योगदान:
    • दिवालियापन पेशेवरों, कानूनी फर्मों, परामर्श फर्मों, वित्तीय ऋणदाताओं और सरकारी अधिकारियों सहित आईबीसी व्‍यवस्‍था के सभी हितधारकों ने सम्मेलन में भाग लिया।
  6. समापन:
    आईबीबीआई के कार्यकारी निदेशक कुलवंत सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ सम्मेलन का समापन किया।

निष्कर्ष:

यह सम्मेलन दिवालियापन समाधान के वैश्विक परिप्रेक्ष्य और भारत में इसके प्रभावों पर महत्वपूर्ण चर्चा का अवसर था। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने अपनी अंतर्दृष्टियाँ साझा कीं और दिवालियापन व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए नए दृष्टिकोणों पर विचार किया।

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