भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग ने क्लिनिकल इलेक्ट्रिकल थर्मामीटर की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए कानूनी माप विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। यह संशोधन उपभोक्ता हितों की रक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में उपकरणों की गुणवत्ता में सुधार के लिए किया गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. उद्देश्य:
- थर्मामीटर की मानकीकरण और सटीकता को सुनिश्चित करना।
- बुखार और हाइपोथर्मिया जैसे रोगों के सटीक निदान को सुनिश्चित करना।
- मानव और पशु स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उपकरणों की सत्यापन और मुहर अनिवार्य।
2. प्रक्रिया:
- मसौदा नियम 29 नवंबर 2024 को प्रकाशित।
- पब्लिक फीडबैक: 30 दिसंबर 2024 तक टिप्पणियाँ आमंत्रित।
- हितधारकों के सुझावों की समीक्षा के बाद नियमों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
3. प्रमुख विशेषताएँ:
- ओआईएमएल की अनुशंसाओं के अनुसार मसौदा नियम।
- स्वास्थ्य और कल्याण के लिए उपकरणों का सटीक और मानक होना आवश्यक।
- क्लिनिकल इलेक्ट्रिकल थर्मामीटर का सत्यापन और प्रमाणन अनिवार्य।
- उपकरणों की माप में एकरूपता और विश्वास को बढ़ाना।
4. महत्व:
- स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार:
- थर्मामीटर के माप के आधार पर निदान और उपचार के निर्णय।
- घर, स्वास्थ्य सुविधाओं और उद्योगों में भरोसेमंद उपयोग।
- उपभोक्ता सुरक्षा:
- उपकरणों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार।
- स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता।
5. लिंक:
मसौदा नियमों की विस्तृत जानकारी इस लिंक पर उपलब्ध है:
Draft Rules for Clinical Electrical Thermometer
उपयोगिता:
यह पहल समकालीन मुद्दे और उपभोक्ता सुरक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और कानूनी माप विज्ञान के सिद्धांतों की व्यावहारिकता को समझा जा सकता है, जो UPSC के प्रीलिम्स और मुख्य परीक्षा के लिए उपयोगी है।