कुरुक्षेत्र, हरियाणा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 के अवसर पर, भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य पर जोर दिया। अपने संबोधन में उन्होंने गीता के उपदेशों को जीवन और शासन का अभिन्न हिस्सा बनाने की बात कही। उन्होंने “पंचामृत मॉडल” प्रस्तुत करते हुए नागरिकों को प्रेरित किया कि वे सकारात्मक दृष्टिकोण और राष्ट्रीय हित में कार्य करें।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. विकसित भारत का लक्ष्य:
- लक्ष्य: भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना।
- प्रेरणा: गीता के अर्जुन के समान एकाग्रता और दृढ़ निश्चय की आवश्यकता।
- संदेश: “सपना नहीं, लक्ष्य बनाएं।”
2. अद्वितीय प्रगति के आयाम:
- आर्थिक उपलब्धि: पिछले दशक में अभूतपूर्व आर्थिक विकास।
- वैश्विक नेतृत्व: भारत की बुलंद आवाज और सम्मान।
- संस्थागत ढांचा: मजबूत और स्थायी आधारभूत संरचना का निर्माण।
3. गीता का पंचामृत मॉडल:
- सार्थक संवाद:
- मतभेदों को वाद-विवाद और विचार-विमर्श से हल करें।
- संवाद का उद्देश्य समाज और राष्ट्र के हित में होना चाहिए।
- व्यक्तिगत शुचिता:
- प्रशासन और राजनीति में आदर्श आचरण का पालन करें।
- जनता को प्रेरणा देने वाला नेतृत्व सुनिश्चित करें।
- निस्वार्थ यज्ञ भाव:
- कर्म को व्यक्तिगत लाभ के बजाय राष्ट्रहित में करें।
- 2047 तक विकसित भारत का निर्माण एक महान यज्ञ है।
- करुणा:
- भारतीय संस्कृति का आधारभूत मूल्य।
- कोविड संकट और वैश्विक आपदाओं में भारत का नेतृत्व उदाहरण।
- परस्पर भाव:
- विविधता में एकता को स्वीकारें।
- प्रतियोगिता को संघर्ष का रूप न दें।
4. भारत की चुनौतियाँ:
- कुछ ताकतें भारत की प्रगति और संवैधानिक संस्थानों को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं।
- इन चुनौतियों से सावधान रहने और एकजुटता बनाए रखने की आवश्यकता।
5. प्रेरक संदेश:
- गीता के सार को अपनाएं और राष्ट्र के विकास में योगदान दें।
- हर नागरिक पंचामृत मॉडल के सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाकर राष्ट्रनिर्माण में भागीदार बने।
उपयोगिता:
यह भाषण UPSC प्रीलिम्स के समकालीन मुद्दे, आचार-नीति, और नागरिक दायित्व जैसे विषयों के लिए अत्यंत उपयोगी है। गीता का पंचामृत मॉडल “एथिक्स” सेक्शन के लिए एक प्रेरणादायक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।