भारत सरकार देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। सांस्कृतिक संस्थानों और क्षेत्रीय केंद्रों के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रों सहित सभी क्षेत्रों तक पहुँच सुनिश्चित की जा रही है। इसके तहत कई महत्वपूर्ण पहल की गई हैं, जो देश की सांस्कृतिक विरासत को सशक्त बनाती हैं।
प्रमुख सांस्कृतिक पहलें और संस्थाएँ
- सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी):
- गुवाहाटी, उदयपुर, हैदराबाद और दमोह में क्षेत्रीय केंद्र स्थापित।
- ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की पहुँच।
- ललित कला अकादमी (एलकेए):
- स्वदेशी क्षेत्रों में कार्यक्रम और प्रदर्शनियों का आयोजन।
- कलाकारों के लिए दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, लखनऊ, भुवनेश्वर, अगरतला और शिमला में गैलरी की सुविधा।
- चेन्नई, गढ़ी, लखनऊ, कोलकाता, अगरतला और भुवनेश्वर में छह क्षेत्रीय केंद्र।
- साहित्य अकादमी (एसए):
- कारगिल, लक्षद्वीप, पोर्ट ब्लेयर, आइजोल, कोहिमा और पासीघाट में साहित्यिक कार्यक्रम।
- मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु और चेन्नई में चार क्षेत्रीय केंद्र।
- अगरतला में उत्तर-पूर्व केंद्र (NECOL) का संचालन, जो मौखिक साहित्य और गैर-मान्यता प्राप्त भाषाओं पर केंद्रित।
- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी):
- बेंगलुरु, अगरतला, गंगटोक, वाराणसी और श्रीनगर में पांच क्षेत्रीय केंद्र स्थापित।
- ग्रामीण और आदिवासी समुदायों तक नाट्य कला की पहुँच।
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA):
- सांस्कृतिक संरक्षण और संवर्धन में सक्रिय।
- वाराणसी, गुवाहाटी, बेंगलुरु, रांची, वडोदरा, गोवा, त्रिशूर, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर में नौ क्षेत्रीय केंद्र।
- उत्तर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NEZCC):
- उत्तर-पूर्व क्षेत्र और आदिवासी कलाओं एवं शिल्पों के लिए विशेष कार्यक्रम।
सरकार की प्रतिबद्धता
- सांस्कृतिक विविधता का संरक्षण।
- क्षेत्रीय और आदिवासी समुदायों की विशिष्ट जरूरतों पर ध्यान।
- समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संवर्धन के लिए व्यापक नेटवर्क का निर्माण।
भारत सरकार की यह पहल क्षेत्रीय कला, शिल्प और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए सभी क्षेत्रों तक समान पहुँच सुनिश्चित करती है। इस कार्य में विभिन्न राष्ट्रीय अकादमियों और क्षेत्रीय केंद्रों का योगदान महत्वपूर्ण है।