तिथि: 09 दिसंबर 2024
स्थान: उत्तर पूर्व भारत
उत्तर पूर्व भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को जीवंत रूप में प्रस्तुत करने वाला अष्टलक्ष्मी महोत्सव क्षेत्र की अनूठी शिल्पकला, परंपराओं और प्राकृतिक सुंदरता का अद्वितीय उत्सव है। यह महोत्सव न केवल सांस्कृतिक धरोहर की विशेषता को उजागर करता है, बल्कि इस क्षेत्र के समृद्धि और कृपा का प्रतीक भी है।
मुख्य विशेषताएँ:
- सांस्कृतिक समृद्धि का उत्सव: इस महोत्सव में उत्तर पूर्व भारत के विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक धरोहर का जश्न मनाया गया। त्रिपुरा के रीसा, मेघालय की सुनहरी लकडोंग हल्दी, असम के गमोसा, और मणिपुर के उत्तम मोइरांग फी जैसे जीआई-टैग खजानों ने इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धारा को प्रस्तुत किया। इन विशिष्ट वस्त्रों और शिल्पकला ने क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को विश्व मंच पर प्रस्तुत किया।
- प्रौद्योगिकी और आधुनिकता का संगम: महोत्सव में आधुनिक तकनीक का भी समावेश किया गया, जहां एआई बॉट आगंतुकों का मार्गदर्शन और स्वागत करते हुए उन्हें उत्तर पूर्व भारत के आठ राज्यों की सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराते हैं। यह नवाचार, परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत मिलाजुला रूप है।
- अष्टलक्ष्मी मंडप: महोत्सव में स्थापित अष्टलक्ष्मी मंडप समृद्धि और कृपा का प्रतीक है, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर की सुंदरता और विविधता को प्रदर्शित करता है। इस मंडप के माध्यम से महोत्सव ने उत्तर पूर्व भारत की आत्मा को उजागर किया, जो इस क्षेत्र की प्राचीनता और रचनात्मकता को प्रदर्शित करता है।
- भारत की विविधता में एकता: अष्टलक्ष्मी महोत्सव में भाग लेने वाले हर राज्य की अनूठी सांस्कृतिक विशेषताएँ एकत्रित होकर भारत की विविधता में एकता का प्रतीक बनती हैं। इस महोत्सव ने यह संदेश दिया कि भारत की विविध सांस्कृतिक धरोहर एक साझा समृद्धि की ओर अग्रसर है।
अष्टलक्ष्मी महोत्सव ने उत्तर पूर्व भारत की सांस्कृतिक विविधता, शिल्पकला और प्राकृतिक सुंदरता को न केवल संरक्षित किया बल्कि इसे एक नई दिशा भी दी। यह उत्सव इस क्षेत्र की कालातीत विरासत और रचनात्मक भावना को समर्पित था, जो कला, संस्कृति और नवाचार के माध्यम से सभी को एक गहरे जुड़ाव का अनुभव कराता है।