Thursday, August 21, 2025
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अष्टलक्ष्मी 2024: उत्तर पूर्वी भारत की सांस्कृतिक और कृषि धरोहर का उत्सव

उत्तर पूर्वी भारत के जीवंत परिदृश्य में, जहां परंपरा और प्रगति आपस में जुड़ी हुई हैं, अष्टलक्ष्मी 2024 एक ऐसा आयोजन बनकर उभरा है जो इस क्षेत्र की संस्कृति, शिल्प कौशल और सशक्तिकरण को प्रदर्शित करता है। यह उत्सव उत्तर पूर्वी भारत के आठ विविध राज्यों को एक साथ लाता है, जहां प्रत्येक राज्य अपनी अनूठी वस्त्र कला, जैविक उत्पादों और मसालों का प्रदर्शन करता है। इन हस्तनिर्मित उत्पादों की सुंदरता के पीछे गहरी कहानी है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण द्वारा निर्देशित एक समृद्ध भविष्य से जुड़ी हुई है।

प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण:

अष्टलक्ष्मी 2024 के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर पूर्वी भारत के प्राकृतिक संसाधनों और जैविक खेती के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को व्यक्त किया। उन्होंने इस क्षेत्र के द्वारा स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पोषक अनाज (मिलेट), चावल, बांस और मसाले जैसे संसाधन न केवल उत्पाद हैं, बल्कि यह इस क्षेत्र की समृद्ध पहचान और क्षमता के प्रतीक हैं।

भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग और इसका महत्व:

जीआई टैग (Geographical Indication Tag) इन उत्पादों की पहचान और रक्षा करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है, जो स्थानीय समुदायों को सशक्त बना रहा है। इसके माध्यम से इन उत्पादों को वैश्विक मंच पर पहचान मिल रही है, जिससे क्षेत्रीय विकास और समृद्धि के नए रास्ते खुल रहे हैं। यह टैग स्थानीय संस्कृति और कला के संरक्षण के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में उनकी स्थिति को मजबूत करता है।

उत्तर पूर्वी भारत के प्रमुख जीआई-टैग उत्पाद:

  1. अरुणाचल प्रदेश:
    • आदि केकिर अदरक: यह अदरक, जो दिबांग घाटी में उगाया जाता है, अपनी औषधीय गुणों और विशिष्ट सुगंध के लिए प्रसिद्ध है। इसे पारंपरिक जैविक खेती पद्धतियों के तहत उगाया जाता है, जो इसके स्वाभाविक रूप को बनाए रखते हैं।
    • वाकरो ऑरेंज और मोनपा मक्का भी जीआई टैग प्राप्त उत्पाद हैं, जो इस क्षेत्र की कृषि क्षमता को उजागर करते हैं।
  2. सिक्किम:
    • दल्ले खुरसानी (चिली): यह तीखी मिर्च न केवल अपनी तीव्रता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका भी है।
    • सिक्किम की बड़ी इलायची, टेमी चाय, और संतरा जैसे उत्पाद भी इस राज्य के जीआई टैग प्राप्त कृषि रत्न हैं।
  3. नागालैंड:
    • नागा किंग मिर्च: यह मिर्च दुनिया की सबसे तीखी मिर्चों में से एक है और नागा समुदाय के सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है।
    • अन्य जीआई टैग वाले उत्पादों में नागा ट्री टमाटर, चक हाओ चावल और नागा ककड़ी शामिल हैं।
  4. असम:
    • काजी निमू: यह नींबू असम की कृषि धरोहर का एक प्रमुख उत्पाद है, जो अपने आकार और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।
    • तेजपुर लीची, जोहा चावल, और बोडो केराडापिनी मसाले जैसे उत्पाद भी जीआई मान्यता प्राप्त हैं, जो इस राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक और कृषि विरासत का प्रतीक हैं।

अष्टलक्ष्मी 2024 ने उत्तर पूर्वी भारत की सांस्कृतिक और कृषि धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया। जीआई टैग के समर्थन से, इस क्षेत्र के कृषि और शिल्प कौशल की पुरानी परंपराओं को न केवल संरक्षित किया जा रहा है, बल्कि उन्हें वैश्विक पहचान भी मिल रही है। प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण इस क्षेत्र को एक सस्टेनेबल और समृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर करता है, जिसमें स्थानीय समुदायों को नई संभावनाओं और अवसरों के द्वार मिल रहे हैं।

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